पुर-हौल ख़राबों से शनासाई मिरी है हंगामे अगर तेरे हैं तंहाई मिरी है ऐ हुस्न तू हर रंग में है क़ाबिल-ए-इज़्ज़त मैं इश्क़ हूँ हर हाल में रुस्वाई मिरी है जो सतह पे है तेरी रसाई है उसी तक फ़नकार हूँ मैं ज़ीस्त की गहराई मिरी है हस्ती के उजाले हैं मिरी आँख का परतव हर चश्मा-ए-पुर-नूर में बीनाई मिरी है हर नक़्श-ए-हसीं है मिरी काविश का नतीजा हर मंज़र-ए-दिलकश में तवानाई मिरी है शाएर हूँ सदाक़त का परस्तार हूँ 'रूही' हर रंग में हर दौर की सच्चाई मिरी है