पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था चेहरा ये किस शहीद का रौशन था कौन था ठहरा गया है ला के जो मंज़िल में इश्क़ की क्या जाने रहनुमा था कि रहज़न था कौन था तोड़ा था किस के दिल को खिलौने की तरह से आशिक़ तुम्हारा जब कि लड़कपन था कौन था किस दिल से है ख़ुदाई में ईजाद दर्द-ए-इश्क़ रोज़-ए-अज़ल जो मूजिद-ए-शेवन था कौन था हू का मक़ाम था मुझे रोती थी बे-कसी कोई न था जहाँ मिरा मदफ़न था कौन था झुक झुक के देखता था वो किस की जिगर का घाव तर जिस के ख़ूँ में यार का दामन था कौन था हम मुस्कुराते थे वो दिखाता था सैर-ए-बाग़ दम किस पे शेफ़्ता दम-ए-मुर्दन था कौन था इंसान था कि कोई परी-ज़ाद था 'शरफ़' दिल मेरा जिस के नूर से रौशन था कौन था