प्यार की राह में ऐसे भी मक़ाम आते हैं सिर्फ़ आँसू जहाँ इंसान के काम आते हैं उन की आँखों से रखे क्या कोई उम्मीद-ए-करम प्यास मिट जाए तो गर्दिश में वो जाम आते हैं ज़िंदगी बन के वो चलते हैं मिरी साँस के साथ उन को ऐसे कई अंदाज़-ए-ख़िराम आते हैं हम न चाहें तो कभी शाम के साए न ढलें हम तड़पते हैं तो सुब्हों के सलाम आते हैं हम पे हो जाएँ न कुछ और भी रातें भारी याद अक्सर वो हमें अब सर-ए-शाम आते हैं छिन गए हम से जो हालात की राहों में 'क़तील' उन हसीनों के हमें अब भी पयाम आते हैं