क्या सताते हो रहो बंदा-नवाज़ कि नहीं ख़ूब ये ख़ू बंदा-नवाज़ बे-सबब बे-वज्ह ओ बे-तक़सीर इस क़दर ग़ुस्सा न हो बंदा-नवाज़ ज़ुल्म नाहक़ न करो कोई दिन जियो और जीवने दो बंदा-नवाज़ मय-कशो बीच न बैठो हरगिज़ ख़ून मेरा न पियो बंदा-नवाज़ इत्र को मल के न आओ हम पास ज़ब्ह करती है ये बू बंदा-नवाज़ कब तलक अपनी कहे जाओगे बात मेरी भी सुनो बंदा-नवाज़ वाजिब-उल-क़त्ल तुम्हारा मैं हूँ और का नाम न लो बंदा-नवाज़ गो कि सब मुझ को बुरा कहते हैं तुम ज़बाँ सीं न कहो बंदा-नवाज़ किस का मुँह है जो तिरे सन्मुख हो हो न हो आईना हो बंदा-नवाज़ जा तिरी चश्म में मेरी है जा सर्व हो है लब-ए-जू बंदा-नवाज़ वस्फ़-ए-काकुल में सदा गोया है जो ज़बाँ हर सर-ए-मू बंदा-नवाज़ दिल से 'हातिम' ब-ख़ुदा बंदा है दूर ख़िदमत से है गो बंदा-नवाज़