रास जब ज़िंदगी नहीं आती तो 'जिगर' मौत भी नहीं आती चोट खाता नहीं है दिल जब तक रविश-ए-ज़िंदगी नहीं आती साथ देती नहीं अगर तक़दीर रास तदबीर भी नहीं आती दिल को जब तक लगे न कोई बात रंग पर ज़िंदगी नहीं आती हसरत-ओ-यास-ओ-ग़म सभी दिल में आते हैं इक ख़ुशी नहीं आती हिज्र है मौत और हिज्र बग़ैर इश्क़ में ज़िंदगी नहीं आती समझें क्यूँकर 'जिगर' का हाल अच्छा रुख़ पे जब ताज़गी नहीं आती