रात है या हवा मकानों में जल रहा है दिया मकानों में जाने क्या हो गया मकीनों को जाने क्या हो गया मकानों में लोग किन वाहिमों में रहते हैं काटते हैं सज़ा मकानों में इक सितारा ज़मीन पर उतरा और फिर खो गया मकानों में ऐसा लगता है ख़्वाब की ताबीर देखता है ख़ुदा मकानों में एक साए से रोज़ होता है आमना-सामना मकानों में इन सितारों का मश्ग़ला है 'रसा' ताकना-झाँकना मकानों में