रात का नाम सवेरा ही सही आप कहते हैं तो ऐसा ही सही क्या बुराई है अगर देख लें हम ज़िंदगी एक तमाशा ही सही कुछ तो काँधों पे लिए हैं हम लोग अपने अरमानों का लाशा ही सही पीछे हटना हमें मंज़ूर नहीं सामने आग का दरिया ही सही क्या ज़रूरी है कि मैं नाम भी लूँ मेरा दुश्मन कोई अपना ही सही आइना देख के डर जाता हूँ आइना मेरा शनासा ही सही मेरा क़द आप से ऊँचा है बहुत मैं 'हफ़ीज़' आप का साया ही सही