रात के मुँह पर उजाला चाहिए चोर के घर में भी ताला चाहिए ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा अब उसे दिल से निकाला चाहिए पाँव में जूती न हो तो कुछ नहीं हाँ मगर एक-आध छाला चाहिए हाथ फैलाने से कुछ मिलता नहीं भीक लेने को पियाला चाहिए याद उन की यूँ न जाएगी उसे कुछ बहाना कर के टाला चाहिए शायरी माँगे है पूरा आदमी अब उसे भी मोंछ वाला चाहिए