रात की नींदें तो पहले ही उड़ा कर ले गया रह गई थी आरज़ू सो वो भी आ कर ले गया दिन निकलते ही वो ख़्वाबों के जज़ीरे क्या हुए सुब्ह का सूरज मिरी आँखें चुरा कर ले गया दूर से देखो तो ये दरिया है पानी की लकीर मौज में आया तो जंगल भी बहा कर ले गया उस ने तो इन मोतियों पर ख़ाक भी डाली नहीं आँख की थाली में दिल आँसू सजा कर ले गया ग़ौर से देखा तो दिल की ख़ाक तक बाक़ी न थी मुझ को दावा था कि मैं सब कुछ बचा कर ले गया