रात को शम्अ की मानिंद पिघल कर देखो By Ghazal << अब की चमन में गुल का ने न... हाँ महफ़िल-ए-याराँ में ऐस... >> रात को शम्अ की मानिंद पिघल कर देखो ज़िंदगी क्या है किसी ताक़ में जल कर देखो अपने चेहरे को बदलना तो बहुत मुश्किल है दिल बहल जाएगा आईना बदल कर देखो रंग बिखरेंगे तो फ़रियाद करेगी ख़ुशबू तुम किसी फूल को चुटकी से मसल कर देखो Share on: