राह अपनी बदल नहीं पाए हम तिरे साथ चल नहीं पाए टालने की हज़ार कोशिश की हादसे फिर भी टल नहीं पाए हम ने दुनिया तो छोड़ दी लेकिन एक ख़्वाहिश कुचल नहीं पाए उम्र-भर एक ही तमन्ना के दाएरे से निकल नहीं पाए वो हवाओं का ज़ोर था क्या था हम सफ़र में सँभल नहीं पाए रास आई न ज़िंदगी हम को जिस के साँचे में ढल नहीं पाए वक़्त शो'लों में झोंकता ही रहा गीली लकड़ी थे जल नहीं पाए