राह में एक सितारा ही बहुत होता है याद का उस की सहारा ही बहुत होता है रू-ब-रू मिलने की उस से कभी हिम्मत न हुई ख़्वाब में उस का नज़ारा ही बहुत होता है दिल की गहराई निगाहों से ज़ियादा है मगर डूबना हो तो किनारा ही बहुत होता है बे-ख़बर इतने भी मौसम से परिंदे क्यों थे जब हवाओं का इशारा ही बहुत होता है हो गया इश्क़ से सोने में सुहागा वर्ना सिर्फ़ तक़दीर का मारा ही बहुत होता है ए'तिमाद उस ने कहाँ मुझ पे किया है वर्ना एक तिनके का सहारा ही बहुत होता है इंतिज़ार आज भी क्यों चाँद का करते हो 'निसार' जब अंधेरे में सितारा ही बहुत होता है