राह में जब मय-ख़ाना पड़ा है दिल को बहुत समझाना पड़ा है गुलशन गुलशन आए थे लेकिन सहरा सहरा जाना पड़ा है ख़ैर हो यारब होश-ओ-ख़िरद की राह में फिर मय-ख़ाना पड़ा है कल जो छलकता था महफ़िल में आज सर-ए-मय-ख़ाना पड़ा है काम न दिवाना-पन आया होश में फिर से आना पड़ा है गुलशन में रोते हो 'सरन' क्यों रोने को वीराना पड़ा है