दुआ सलाम सर-ए-रहगुज़ार कर लेना मगर हर एक पे मत ए'तिबार कर लेना उधर न भूल के जाना हवा जिधर की चले ये दिल पे जब्र सही इख़्तियार कर लेना हैं आस्तीनों में ख़ंजर ज़रा सँभल के मियाँ रवा-रवी में न क़ौल-ओ-क़रार कर लेना मिरा ख़मीर है अपने वतन की मिट्टी से मिरी ख़ताओं में ये भी शुमार कर लेना ख़राब हो चुकी माना रफ़ाक़तों की फ़ज़ा गले लगा के उन्हें ख़ुश-गवार कर लेना ये वो ख़ज़ाना है जिस का बदल नहीं कोई तअ'ल्लुक़ात-ए-कुहन उस्तुवार कर लेना जो गिर्द-ओ-पेश बढ़े ज़ोर कम-अय्यारी का बुलंद अपनी अना का हिसार कर लेना मैं अब के याद की ख़िलअत पहन के आऊँगा ये मेरा वा'दा रहा इंतिज़ार कर लेना नया नहीं है तमाशा ये दिलबरों का 'सहर' है उन का खेल दिलों का शिकार कर लेना