रहबर-ए-तब्ल-ओ-निशाँ और ज़रा तेज़ क़दम हाँ मिरे अज़्म-ए-जवाँ और ज़रा तेज़ क़दम इस अँधेरे से न घबरा कि ज़रा और आगे है चराग़ाँ का समाँ और ज़रा तेज़ क़दम कहीं मायूस न होना जो निगाहों से अभी उन की महफ़िल है निहाँ और ज़रा तेज़ क़दम ये यक़ीं है कि पहुँच जाएँगे उन तक इक दिन चलिए बे-वहम-ओ-गुमाँ और ज़रा तेज़ क़दम बुझ न जाएँ रह-ए-हस्ती में तमन्ना के चराग़ ख़्वाजा-ए-राह-रवाँ और ज़रा तेज़ क़दम किस बुलंदी पे रवाँ तुम हो ज़मीं के ज़र्रो हैं सितारे निगराँ और ज़रा तेज़ क़दम मिल ही जाएगा कहीं शहर-ए-निगाराँ 'अख़्तर' ऐ परस्तार-ए-बुताँ और ज़रा तेज़ क़दम