रहगुज़र रहगुज़र से पूछ लिया तेरा घर सब के घर से पूछ लिया जो ज़बाँ से न कर सके वो बयाँ हम ने उन की नज़र से पूछ लिया गुमरही और बढ़ गई अपनी रास्ता राहबर से पूछ लिया जब ज़मीं ने दिया न तेरा पता हम ने शम्स ओ क़मर से पूछ लिया तुम न आओ न आएगी रौनक़ हम ने दीवार-ओ-दर से पूछ लिया मेरी चुप को वो क्या समझते हैं राज़ जब चश्म-ए-तर से पूछ लिया इल्म का राज़ 'अर्श' बस ये है कुछ इधर कुछ उधर से पूछ लिया