शमएँ जुगनू चाँद के हाले जम्अ' करो बोझल है शब नर्म उजाले जम्अ' करो पीना है ज़हराब-ए-हलाहल मुझ को भी मेरे यारो प्यार के प्याले जम्अ' करो शायद ख़ुद को दोहराए तारीख़-ए-वफ़ा अपनी बज़्म में हम से जियाले जम्अ' करो और बढ़ाएँ शान चमन की जिन के ज़ख़्म आज वो काँटों के मतवाले जम्अ' करो सुख की मंज़िल के साथी तो लाखों हैं दुख की राह में चलने वाले जम्अ' करो 'राज' असीर-ए-ज़ुल्फ़ न होंगे दीवाने डसने वाले नाग निराले जम्अ' करो