राज़ में रख तिरी रुस्वाई का क़िस्सा मैं हूँ मुझ को पहचान तिरा दूसरा चेहरा मैं हूँ दफ़न हैं तेरे कई राज़ मिरे सीने में जो तिरे घर से गुज़रता है वो रस्ता मैं हूँ मुद्दतों बा'द भी जारी है अज़ाबों का सफ़र क़तरा क़तरा तिरी आँखों से टपकता मैं हूँ आ ज़रा बैठ मिरे पास भी कुछ पुल के लिए मेरे हमदम तिरी दीवार का साया मैं हूँ अब भी ज़िंदा हूँ तिरी रूह में ग़म की सूरत कौन कहता है कि टूटा हुआ रिश्ता मैं हूँ मुझ को पूजेगी तह-ए-ख़ाक जो दुनिया है 'शकील' कल जो टूटा था फ़लक से वो सितारा मैं हूँ