राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ ये बात अपनी ज़ुल्फ़-ए-शिकन-दर-शिकन से पूछ आवारगी के लुत्फ़ न सर्व-ओ-समन से पूछ वहशत में क्या मज़ा है हवा-ए-चमन से पूछ मरदान-ए-हक़ का अज़्म शहीदान-ए-हक़ का जुर्म दिल-दादगान-ए-शेवा-ए-दार-ओ-रसन से पूछ क्या शाम-ए-ग़म में दीदा-ओ-दिल पर गुज़र गई उन ताज़ा वारिदान-ए-बिसात-ए-कुहन से पूछ लज़्ज़त-कशान-ए-साग़र-ए-इशरत को क्या ख़बर रंज-ए-ख़ुमार तल्ख़ी-ए-काम-ओ-दहन से पूछ सहन-ए-चमन में लाला-ओ-गुल पर तिरे बग़ैर क्या क्या गुज़र रही है बहार-ए-चमन से पूछ आग़ाज़-ए-इर्तिबात-ओ-ताल्लुक़ के वाक़िआ'त कुछ अपने होश कुछ मिरे दीवाना-पन से पूछ ऐ फ़स्ल-ए-गुल मिज़ाज जराहत-रसीदगाँ गर हो सके तो लाला-ए-ख़ूनीं कफ़न से पूछ जो तेरी मश्क़-ए-नाज़ से पामाल हो गया अपना मिज़ाज-ए-नाज़ उसी ख़स्ता-तन से पूछ अफ़्साना-ए-बहार असीर-ए-क़फ़स से सुन याद-ए-वतन का लुत्फ़ किसी बे-वतन से पूछ ऐ दोस्त हम से कुफ़्र-ए-मोहब्बत का दर्स ले असरार-ए-काफ़िरी न बुत-ओ-बरहमन से पूछ हम भी कभी थे अंजुमन-आरा-ए-आरज़ू उस जान-ए-बज़्म-ओ-जे़ब-दह-ए-अंजुमन से पूछ हम भी कभी थे यूसुफ़-ए-कनआन-ए-रंग-ओ-बू पीर-ए-ज़ईफ़-ओ-पीर ज़न-ओ-पैरहन से पूछ