रखें हर बात में हम साफ़ निय्यत घरों में आएगी तब जा के बरकत इबादत है यक़ीनन ये इबादत ख़ुदा के बंदों से करना मोहब्बत हमारे नौजवानों को अता कर ख़ुदाया जज़्बा-ए-शौक़-ए-शहादत मुनाफ़िक़ दोस्तों के दरमियाँ हूँ मिरे मालिक मिरी करना हिफ़ाज़त नहीं तालिब किसी मंसब का 'शारिद' न कोई आरज़ू-ए-इज़्ज़-ओ-शोहरत