रख़्त-ए-सफ़र का मैं ने इरादा नहीं किया रौशन चराग़-ए-मंज़िल-ए-जादा नहीं किया तुझ से बिछड़ के और मिरा दिल उदास हो मिलने का इस लिए अभी वा'दा नहीं किया शिद्दत से था मलाल शब-ए-हिज्र का मगर शाने पे तेरे सर को निहादा नहीं किया दिल मुतमइन है बाइ'स-ए-तज्दीद-ए-दोस्ती उस को ख़फ़ा भी हद से ज़ियादा नहीं किया सब कुछ अता हुआ तिरी रहमत से इस लिए दस्त-ए-तलब को और कुशादा नहीं किया शायद कि मेरी रूह को बालीदगी मिले ख़ुद को रहीन-ए-साग़र-ओ-बादा नहीं किया शायद मिरी जबीं को मिले इज़्न-ए-बंदगी दिल के वर्क़ को इस लिए सादा नहीं किया मुझ को न तमकनत का हो एहसास-ए-बे-ज़ियाँ क़ामत को अपने और सितारा नहीं किया अपनी तलाश में हूँ 'सबा' इस लिए अभी सू-ए-हरम सफ़र का इरादा नहीं किया