ख़्वाब ता'बीर सफ़र मेरे सहारे कब थे जो चमकते थे वो जुगनू थे सितारे कब थे ये मोहब्बत का असर है कि तू दिखता है मुझे नक़्श काग़ज़ पे अभी मैं ने उतारे कब थे मुझ से बिछड़े हैं कड़े वक़्त में बारी बारी मेरी माँ सच है मिरे दोस्त ये सारे कब थे अपनी मर्ज़ी कि तुझे छोड़ दिया है तुझ पर हम वो मूरख हैं जो तक़दीर से हारे कब थे शहर आबाद रहें और तू आबाद रहे हम तो बंजारे हैं ये शहर हमारे कब थे