रंग-ए-ख़्वाबीदा में जादू के अलावा तुम हो दिल में रक्खी हुई ख़ुशबू के अलावा तुम हो दूर तक फैली हुई राह मुझे खींचती है और इस राह पे जुगनू के अलावा तुम हो मेरी आँखों से नहीं दिल से नुमू पाती हुई शाख़-ए-एहसास मन-ओ-तू के अलावा तुम हो सुरमई धूप है दरिया है किनारे हैं मियाँ मौज-दर-मौज इस आँसू के अलावा तुम हो पानियों पर कोई तस्वीर नहीं बन पाती मेरी ख़्वाहिश में लब-ए-जू के अलावा तुम हो ज़ख़्म गिनता हूँ मैं आँखों को लहू करता हूँ मेरे पहलू में भी पहलू के अलावा तुम हो