रंज के हाथों गीत ख़ुशी के लिखवाओ तो बात बने तोड़ के अश्कों की ज़ंजीरें मुसकाओ तो बात बने शोर मचाती आवाज़ों से तोड़ के रिश्ता पल-दो-पल ख़ामोशी की सरगोशी गर सुन पाओ तो बात बने गुलशन में तो ख़ुश्बू हर-सू रहती ही है गुल-रुत में सहराओं में जानाँ ग़ुंचे महकाओ तो बात बने मुझ को हीर सयाल से मतलब और न राँझे से कुछ काम तोड़ के बंधन रस्मों का तुम आ जाओ तो बात बने बात वफ़ा की दिल वालों की नगरी में है आम बहुत शहर-ए-बुताँ में गीत वफ़ा के गा पाओ तो बात बने गोद में ख़ुशियों की हर कोई चैन से सोता है लेकिन मूँद के आँखें ग़म बाँहों में लहराओ तो बात बने चाँद सितारे तोड़ के लाना अफ़्सानों की बातें हैं मेरे लिए तो प्यार नज़र में भर लाओ तो बात बने