सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है ग़म किसे कहते हैं ख़ुशी क्या है आज हूँ कल यहाँ नहीं हूँगा मुझ से जानाँ ये बे-रुख़ी क्या है देस परदेस हो गया अब तो आश्ना कौन अजनबी क्या है ज़िंदगी तेरे वस्ल की ख़्वाहिश मिल गया तू तो ज़िंदगी क्या है और गर तू बिछड़ गया मुझ से फिर मिरी जान मौत भी क्या है एक पल भी सुकूँ नहीं मिलता तुझ से मिल कर ये बे-कली क्या है तर्ज़-ए-मौसम पे बात चल निकली वर्ना माज़ी का ज़िक्र ही क्या है दोस्ती जो निभा नहीं सकते उन से 'शहज़ाद' दुश्मनी क्या है