रंज-ओ-ग़म मोनिस बने हसरत से याराना हुआ इक क़यामत तुझ पे ज़ालिम दिल का आ जाना हुआ मुश्किलें हो जाएँगी आसान उस दम हिज्र की सब्र का जिस वक़्त भी लबरेज़ पैमाना हुआ एक हिचकी मौत की सब काम पूरा कर गई मुख़्तसर यूँ बेकसी-ए-ग़म का अफ़्साना हुआ रात दिन बस दर्द की बेताबियों से काम है फिर सुकूँ उस को कहाँ जो तेरा दीवाना हुआ