रश्क-ए-मस्त-ए-शबाब हो तुम तो ख़ालिक़-ए-इंक़लाब हो तुम तो अब तुम्हारा जवाब क्या होगा आप अपना जवाब हो तुम तो कोई यकता-ए-हुस्न है तो क्या इश्क़ का इंतिख़ाब हो तुम तो तुम से बढ़ कर शराब क्या होगी सर से पा तक शराब हो तुम तो मेरे अफ़्साना-ए-मोहब्बत का एक रंगीन बाब हो तुम तो तुम से तस्कीन की तमन्ना क्या बाइस-ए-इज़्तिराब हो तुम तो किसी पर्दे में छुप नहीं सकते इस क़दर बे-हिजाब हो तुम तो काश इक दिन वो ख़ुद कहें 'साहिर' इश्क़ में कामयाब हो तुम तो