सिलसिला चलता रहेगा मेरे दिल के बा'द भी जो नगर उजड़ा है अब था ये कभी आबाद भी इस क़फ़स से इस क़दर अपनी तबीअत हो गई छोड़ कर जाऊँ न हरगिज़ वो करें आज़ाद भी शब गज़ीदा हूँ मुझे तारों की छाँव से है डर दिल का ख़ूँ करने चले आए हैं तेरा ज़ाद भी मुद्दतों से कोई संदेसा न आने की ख़बर अब उन्हें शायद ही आती हो हमारी याद भी चाँद भी जोबन पे अपने रात भी मस्ती भरी दूर कोई छेड़ दे बंसी पे इक फ़रियाद भी कर दिया हालात की चक्की ने भी 'शीरीं' को चोर और कुछ है ख़ुद-ग़रज़ इस दौर का 'फ़रहाद' भी नौजवाँ ने तल्ख़ी-ए-हालात से की ख़ुद-कुशी और 'हसरत' आग में झोंकी हैं सब अस्नाद भी