रस्ता भटक न जाएँ तिरे नक़्श-ए-पा से हम हम से जुदा ख़ुदा हो जुदा हों ख़ुदा से हम दस्त-ए-दुआ' बुलंद हैं सू-ए-फ़लक मगर वाक़िफ़ नहीं हैं आज भी हर्फ़-ए-दुआ से हम हम हैं मरीज़-ए-इश्क़ हमें यार चाहिए अच्छे न हो सकेंगे तबीबो दवा से हम झुक कर सलाम करते हैं पर्दा-नशीन को करते नहीं कलाम किसी बे-रिदा से हम सह-रोज़ भूक-प्यास में साबित क़दम रहे हो कर शहीद हारे न जौर-ओ-जफ़ा से हम गूँधा गया तुराब को आतिश के चाक पर आए हक़ीक़ी शक्ल में आब-ओ-हवा से हम चारों तरफ़ से घेरे हुए है यज़ीदियत तन्हा खड़े हैं रन में फ़क़त कर्बला से हम नज़रें मिला न पाएगी हम से कोई ख़ुशी इतना क़रीब हो गए आह-ओ-बुका से हम साक़ी से पूछिएगा हमारी हक़ीक़तें दिखते हैं सिर्फ़ हैं नहीं सूफ़ी-नुमा से हम बचपन से पढ़ रहे हैं 'अनीस'-ओ-'दबीर' को 'महवर' सुख़न-शनास रहे इब्तिदा से हम