रास्ता है मुहाल जैसा कुछ हौसला है मजाल जैसा कुछ दिल पे अक्सर गुज़रता रहता है गर्दिश-ए-माह-ओ-साल जैसा कुछ इश्क़ क्या है पता नहीं पर है हिज्र जैसा विसाल जैसा कुछ उस के बारे में आता रहता है दिल में अक्सर ख़याल जैसा कुछ वस्ल में उस के लब पे जाने क्या थरथरा के सवाल जैसा कुछ ज़ेहन-ओ-दिल में है एक मुद्दत से दर्द जैसा मलाल जैसा कुछ पाँव उठते नहीं उठाए भी कुछ है पाँव में जाल जैसा कुछ उस तरफ़ ही चली है क्यों दुनिया जिस तरफ़ है ज़वाल जैसा कुछ है गिरफ़्तार-ए-जज़्र-ओ-मद हस्ती कुछ तो हो ए'तिदाल जैसा कुछ मुझ को तस्लीम है ख़ुदा मेरे तू ने बख़्शा है हाल जैसा कुछ