रास्ता समुंदर का जब रुका हुआ पाया और भी किनारों को काटता हुआ पाया देर तक हिंसा था मैं दोस्तों की महफ़िल में लौट कर न जाने क्यूँ दिल दुखा हुआ पाया धूप ने टटोला जब मुंजमिद चटानों को बर्फ़ के तले लावा खौलता हुआ पाया सोचिए कहेंगे क्या लोग ऐसे मौसम को जिस में सब्ज़ शाख़ों को सूखता हुआ पाया मेरे वास्ते शायद ख़त में था वही जुमला तेज़ रौशनाई से जो कटा हुआ पाया नींद की परी आख़िर हो गई ख़फ़ा हम से और कोई आँखों में जब छुपा हुआ पाया