रास्ते पुर-पेच राही रुस्तगार रहबरों के नक़्श-ए-पा गुम हो गए ज़र्बत-ए-अम्वाज तेरा शुक्रिया नाव डूबी ना-ख़ुदा गुम हो गए शैख़ साहब हम-रह-ए-पीर-ए-मुग़ाँ मय-कदे में क्या हुआ गुम हो गए ख़ंदा-ए-महर-ए-दरख़्शाँ की क़सम इस सहर के आश्ना गुम हो गए अब कहाँ शेर-ओ-सुख़न की रौनक़ें शाएर-ए-शोला-नवा गुम हो गए