रौशन कुछ इम्कान नहीं है By Ghazal << सँभल सँभल के यहाँ ज़िंदगी... कोई राज़ नहीं कोई भेद नही... >> रौशन कुछ इम्कान नहीं है घर में रौशन-दान नहीं है दुनिया से संबंध न रखना मुश्किल है आसान नहीं है जिस्म नज़र आते हैं लेकिन इन में कोई जान नहीं है इस को तुम बर्बाद न करना दिल अफ़्ग़ानिस्तान नहीं है दिल से पढ़ क़ुरआन को 'क़ैसर' 'ग़ालिब' का दीवान नहीं है Share on: