रौशनी बन कर बिखरने के लिए ज़िंदगी है इश्क़ करने के लिए उँगलियों को हम क़लम करते रहे चाहतों में रंग भरने के लिए तोड़ डाला है ख़ुद अपने आप को एक घर ता'मीर करने के लिए आईने में रू-ब-रू था अजनबी आज जब सोचा सँवरने के लिए मैं वज़ीफ़ा पढ़ रही हूँ रात-दिन आप के दिल में उतरने के लिए जानती हूँ इक बहाना चाहिए आप को मुझ से मुकरने के लिए