रवानगी में समय का ख़याल करते हैं फिर उस को भेज के घंटों मलाल करते हैं ज़रा से तल्ख़-बयानी पसंद हैं फिर भी उदास लोग मोहब्बत कमाल करते हैं अब उन को इश्क़ के आदाब कौन समझाए बुझे चराग़ हवा से सवाल करते हैं गुनाह-ए-इश्क़ पे पाबंदियाँ बजा लेकिन तुम्हारे लोग तो जीना मुहाल करते हैं इस एक जुमले ने करने नहीं दिया कुछ भी जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं