रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल हसीं गुलाब के फूल अर्ग़वाँ गुलाब के फूल जहान-ए-गिर्या-ए-शबनम से किस ग़ुरूर के साथ गुज़र रहे हैं तबस्सुम-कुनाँ गुलाब के फूल ये मेरा दामन-ए-सद-चाक ये रिदा-ए-बहार यहाँ शराब के छींटे वहाँ गुलाब के फूल ख़याल-ए-यार तिरे सिलसिले नशों की रुतें जमाल-ए-यार तिरी झलकियाँ गुलाब के फूल मिरी निगाह में दौर-ए-ज़माँ की हर करवट लहू की लहर दिलों का धुआँ गुलाब के फूल सुलगते जाते हैं चुप-चाप हँसते जाते हैं मिसाल-ए-चेहरा-ए-पैग़मबराँ गुलाब के फूल ये क्या तिलिस्म है ये किस की यासमीं बाँहें छिड़क गई हैं जहाँ-दर-जहाँ गुलाब के फूल कटी है उम्र बहारों के सोग में 'अमजद' मिरी लहद पे खिलें जावेदाँ गुलाब के फूल