रेज़ा रेज़ा अज़्म-ए-सफ़र है धुँदली धुँदली राहगुज़र है फीका फीका रंग-ए-बहाराँ सूना सूना हर मंज़र है आधी रात सदा किस ने दी शम्अ' बुझा दो वक़्त-ए-सहर है उड़ती रेत का क्या मुस्तक़बिल इक सहरा ता-हद्द-ए-नज़र है क़त्ल छुपेगा आख़िर कैसे ख़ून इधर है दाग़ उधर है जाल बिछा है हर गोशे में कहते हो सय्याद किधर है 'नाज़' चमन की शादाबी में शामिल अपना ख़ून-ए-जिगर है