रेतीली कितनी हवा है इर्द-गिर्द हर नज़र इक आइना है इर्द-गिर्द हसरतों की सरज़मीं खूँ-रेज़ है ख़्वाहिशों की कर्बला है इर्द-गिर्द इक हक़ीक़त हैं मिरी तन्हाइयाँ एक एहसास-ए-ख़ुदा है इर्द-गिर्द ज़िंदगी कच्चा घड़ा दुनिया चनाब तेज़-रौ पानी चला है इर्द-गिर्द क्या ख़बर कब कौन जीना छोड़ दे ताक में किस की क़ज़ा है इर्द-गिर्द जितनी बूढ़ी हो गईं सोचें मिरी उतना ज़ियादा बचपना है इर्द-गिर्द धूल है बस धूल 'ज़ीशाँ' चार-सम्त एक बे-रस्ता दिशा है इर्द-गर्द