हंस के पैमाना दिया ज़ालिम ने तरसाने के बा'द आज नाज़ुक से लब-ए-साक़ी हैं पैमाने के बा'द ख़ुम-कदों में कुछ न होगा एक पैमाने के बा'द रह नहीं सकती कभी मय-ए-लब तक आ जाने के बा'द मैं हूँ साक़ी है शब-ए-ख़ल्वत है दौर-ए-जाम है बोसे पर बोसा है पैमाना है पैमाने के बा'द वक़्त है ऐसा था रुख़्सत हो गई उन की हया बात ही ऐसी थी खुल खेले वो शरमाने के बा'द छेड़ते हैं पा के मौक़ा उन के उतरे हार भी बनते हैं क्यूँ दिल हमारा फूल मुरझाने के बा'द हुस्न हो या इश्क़ होती है बुरी दिल की लगी जल-बुझी रो रो के आख़िर शम्अ' परवाने के बा'द कह के मैं दिल की कहानी किस क़दर खोया गया हैं फ़सानों पर फ़साने मेरे अफ़्साने के बा'द बे-ख़ुदी गुम-गश्तगी सुक्र-ओ-तहय्युर महवियत कुछ मक़ामात और भी पड़ते हैं मयख़ाने के बा'द दूर तक शोहरत है उस की तूर कहते हैं जिसे बे-चराग़ इक जल्वा-गह है मेरे वीराने के बा'द कोई हीरे की कनी से कम न था हंगाम-ए-ज़ब्त कुछ हमें पीना पड़े आँसू भी ग़म खाने के बा'द इश्क़ की तारीख़ दोहराई ज़माने ने ज़रूर नाम पाया क़ैस ने भी तेरे दीवाने के बा'द शोर है रहना क़यामत से बहुत ही होशियार उन के कूचे से उठी है ठोकरें खाने के बा'द तब्अ' हो भी तो कहीं दीवान मेरा ऐ 'रियाज़' देखने की चीज़ होगा ये सनम-ख़ाने के बा'द