रो रो के शाम-ए-ग़म में सवेरा करेंगे हम अश्कों से दिल की आग को ठंडा करेंगे हम फूँका है बिजलियों ने नशेमन बहार में ता-ज़ीस्त इस ख़याल में तड़पा करेंगे हम ले चल जुनून-ए-शौक़ उसी रहगुज़ार में नक़्श-ए-क़दम पे दोस्त के सज्दा करेंगे हम अब आशियाँ की याद में ऐ शाख़-ए-आशियाँ हसरत से यास से तुझे देखा करेंगे हम ऐ 'राज़' दर्द-ए-इश्क़ को दिल में बसाएँगे कुछ अपनी ज़िंदगी में इज़ाफ़ा करेंगे हम