रोज़ मैं इक शजर से मिलता हूँ ज़िंदगी क्या भँवर से मिलता हूँ इस से पहले उदासी छा जाए मैं ख़ुशी की ख़बर से मिलता हूँ इश्क़ में कौन दिल जलाए अब वज्द में इक सफ़र से मिलता हूँ शहर-ए-उम्मीद मुझ से वाक़िफ़ है इस लिए कर्र-ओ-फ़र से मिलता हूँ मैं हूँ इक हादिसा गई रुत का क़िस्सा-ए-मोतबर से मिलता हूँ कोसती रह गई ज़मीं मुझ को रोज़ ज़ेर-ओ-ज़बर से मिलता हूँ मैं कि बीमार दिल नहीं लेकिन रोज़ इक चारागर से मिलता हूँ