रोना ज़ार-ओ-क़तार छोड़ दिया हम ने ये कारोबार छोड़ दिया जिस पे नक़्श-ए-क़दम थे मजनूँ के हम ने वो ख़ार-ज़ार छोड़ दिया हम ने तारे तो गिन लिए लेकिन आँसूओं का शुमार छोड़ दिया साथ उम्मीद ही का मैं ने तो था बहुत ख़ुश-गवार छोड़ दिया जो भरोसा था सोच पर मुझ को वो भी परवरदिगार छोड़ दिया हम ने तो आसरा ख़ुदा का भी जो कि था पाएदार छोड़ दिया बे-वफ़ा जब लगी मुझे मैं ने ज़िंदगी ही से प्यार छोड़ दिया मैं ने तो शग़्ल-ए-शायरी 'राहत' जब हुआ दिल पे बार छोड़ दिया