रूह में ताज़गी नहीं क़ल्ब में रौशनी नहीं तेरी क़सम तिरे बग़ैर ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं तज़्किरा-ए-ख़ुदा नहीं सिलसिला-ए-ख़ुदी नहीं अब मैं वहाँ हूँ जिस जगह मेरे सिवा कोई नहीं सज्दा-ए-दोस्त के लिए चाहिए जज़्ब-ए-बे-ख़ुदी बंदगी और ब-क़ैद-ए-होश कुफ़्र है बंदगी नहीं सुस्त क़दम थे मेहर-ओ-माह रह गए मिस्ल-ए-गर्द-ए-राह मंज़िल-ए-इश्क़ में मिरा हम-सफ़र अब कोई नहीं ज़ौक़-ए-तलब है हासिल-ए-हुस्न-ए-तमाम-ए-काएनात तालिब-ए-दीद भी तो हो जलवोें की कुछ कमी नहीं नग़्मा-ए-दिल पे झूमना पा-ए-सनम को चूमना ज़ाहिद-ए-ख़ुश्क-तर अभी वाक़िफ़-ए-बंदगी नहीं 'आरज़ू' दिल के साथ साथ होश-ओ-ख़िरद भी फूँक दे इश्क़ में आरज़ू-ए-इश्क़ शान-ए-क़लंदरी नहीं