यक-ब-यक दिल से तिरा जल्वा-नुमा हो जाना वो मिरा हुस्न के शो'लों में फ़ना हो जाना देख दिल को मिरे तू ने न अगर देखा हो टूट कर साज़ का महरूम-ए-सदा हो जाना अल-अमाँ की रसन-ओ-दार से आती है सदा कोई आसाँ है गुनहगार-ए-वफ़ा हो जाना मुझ से तर्क-ए-गुनह-ए-इश्क़ का तू अहद न ले कि मैं इंसान हूँ मुमकिन है ख़ता हो जाना लज़्ज़त-ए-इश्क़ की मज़बूत हुईं बुनियादें आ गया दर्द-ए-मोहब्बत को दवा हो जाना वो गिरह-बंदी-ए-तक़दीर तसव्वुर में तिरे वो तबस्सुम का तिरे उक़्दा-कुशा हो जाना जज़्बा-ए-इश्क़ की ये शान-ए-तलव्वुन तौबा कभी दर्द और कभी दस्त-ए-दुआ' हो जाना 'आरज़ू' की क़सम ऐ कूचा-ए-जानाँ तुझ को किस से सीखा तिरे ज़र्रों ने ख़ुदा हो जाना