साँस का झोंका भी अब तूफ़ान होता जाएगा हर नफ़स थोड़ा बहुत नुक़सान होता जाएगा चाप कानों से किसी की दूर जाती जाएगी रफ़्ता रफ़्ता ये बदन बे-जान होता जाएगा अजनबी लोगों की दिल पर धाक बढ़ती जाएगी अपने ही घर में कोई मेहमान होता जाएगा पासबानों के हवाले बस्तियाँ होंगी अगर जागने का रात भर एलान होता जाएगा हिज्र का आलम उड़ा ले जाएगा रंगत कहीं और समुंदर सूख कर मैदान होता जाएगा रात होने दो यहाँ पर बरहनाई छाएगी वो हवस में देखना हैवान होता जाएगा