सब की सुनते हैं हम अपनी बात बहुत कम कहते हैं इक तस्वीर में हर लम्हा हम खोए खोए रहते हैं राज़-ए-मोहब्बत लाख छुपाया फ़ाश मगर हो कर ही रहा हम तो ज़बाँ से कुछ नहीं कहते आँसू बहते रहते हैं जिन की ख़ातिर दुनिया भर से हम ने नाता तोड़ लिया वक़्त पड़ा तो वो भी हम को बेगाना ही कहते हैं दुख देना आसान है प्यारे दुख सहना आसान नहीं ये तो हमारी ही हिम्मत है हँस हँस कर दुख सहते हैं इस से बढ़ कर और क़यामत ऐ ग़म-ए-दौराँ क्या होगी याद भी अब वो कम आते हैं आँसू भी कम बहते हैं