सब मुख़ालिफ़ जब किनारे हो गए हम में और उस में इशारे हो गए आए और बैठे न कुछ शिकवा नहीं ये ग़नीमत है कि बारे हो गए जब चढ़ आई रू-ब-रू फ़ौज-ए-जुनूँ हम भी सन्मुख हो उतारे हो गए हिज्र ने उस को जलाया इस क़दर दाग़ सीने पर अंगारे हो गए जानते थे अपने हम होश-ओ-हवास यक निगह में सब तुम्हारे हो गए चश्म तो तेग़े थे आगे ही मियाँ सुर्मा देने से दो धारे हो गए कान के मोती तिरी ज़ुल्फ़ों में रात ख़ल्क़ की नज़रों में तारे हो गए जब हुए 'हातिम' हम उस से आश्ना दोस्त भी दुश्मन हमारे हो गए