सच ही लिखा था इक इंसान ने जिस दिन कलजुग आएगा लूले लंगड़े राज करेंगे अंधा राह दिखाएगा धर्म का कहना जो कोई भी मानेगा सच्चे दिल से हम से प्यार करेगा वो ही सब का दुख अपनाएगा चोर-उचक्के गुंडे-लुच्चे जो मंदिर में बैठे हैं उन से क्यूँकर धर्म करम का काम कोई हो पाएगा दुख से पीड़ित फ़िक्र से घायल जब सारी मानवता है फिर क्यों कोई अंतर्मन से ख़ुश हो कर हँस पाएगा लोग क़यामत की तय्यारी भूके रह कर करते हैं किस को पता था इंसान इतना मूरख भी हो जाएगा रात अँधेरी बादल गरजे बिजली चमकी मेंह पड़े फिर क्या भयानक तूफ़ाँ से ये जग सारा बह जाएगा