सदा पाँव में बेड़ी हाथों में ज़ंजीर देखी है वफ़ादारान-ए-उल्फ़त की यही तक़दीर देखी है करें नौहा पढ़ें क्यों मर्सिया आह-ओ-बुका क्यों हो वो ज़िंदा हैं उन्हीं की दहर में तनवीर देखी है महल मिस्मार हो कर भी सक़ाफ़त ज़िंदा रखते हैं जबीं-ए-संग पर हम ने यही तहरीर देखी है सभी को ज़िंदगी प्यारी है लेकिन इस तरह जीना निवालों के लिए अक्सर ग़लत तदबीर देखी है दुआएँ वस्ल की माँगी वो आए हैं दम-ए-नज़अ' अजब तक़दीर देखी है अजब तासीर देखी है खुली आँखों से हम ने भी ख़ुशी के ख़्वाब देखे थे मगर 'मोनिस' बिगड़ती बारहा ता'बीर देखी है