सदा-ए-क़ैस शौक़-ए-दश्त-पैमाई नमी-दानम न जाने कौन सी कल खींच के लाई नमी-दानम फ़क़ीरों को मिरे शाहाना ख़िलअ'त से नवाज़ा है अक़ीदत है या रंग-ए-ज़ात-आराई नमी-दानम खड़े हैं रास्ते में हाथ बाँधे पेड़ सफ़-बस्ता हवा क्यूँ चाँदनी के दोश पर आई नमी-दानम वजूद-ए-ख़ाक से लिपटे रहे पहलू के अंगारे बदन की आग जाने कैसे बुझ पाई नमी-दानम दरून-ए-सोज़-ए-रिंदाना दरून-ए-आह-ए-मस्ताना ब-गोश-ए-यार तक कैसी सदा आई नमी-दानम